कई कारकों ने दुनिया भर के घरों के आकार, डिजाइन और पैटर्न में बदलाव में योगदान दिया है। नई प्रौद्योगिकियों के सहायता से इमारतों को अधिक लंबे समय तक स्थायी और सुरक्षित बनाने में सुधार किया गया है। इन्ही तरक्कियों के कारन जिन्हें निर्माण की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए अपनाया गया है, घर के अंदरूनी हिस्सों के लिए भी उपयोग की जाने वाली सामग्रियों ने घर मालिकों के लिए कई संभावनाएं खोली हैं ।
आजकल बाहरी और आतंरिक सज्जा के अनगिनत सवाल हमारे सामने आ जाते हैं, जैसे कौन-सा सज्जा शैली या फिर रंग अपनाया जाए, जो आकर्षक होने के साथ कई सालो तक ऐसी ही रहे ? यदि घर का नवीकरण करने वाले हैं या नया घर बनाने की सोच रहे हैं, तो शहर के आतंरिक सज्जाकारो की मानें जो हर बजट के घर बनाने और सजावट करने का समर्थ रखते हैं। इस विचार पुस्तक में हमारे घर बनाने वाले निर्माताओं द्वारा रचित कुछ घर डिज़ाइन के नमूने है जिन्हे आजकल हर छोटे-बड़े शहरों में पसंद किया जा रहा है।
इस तरह के घरों में भारी सजावटी तत्वों की जगह हलके क्लीन, सामान्य फर्नीचर और बड़े आकार के खिड़कियां और दरवाजे होते हैं जिनसे घर में स्वच्छ हवा और रौशनी का आवगमन होता है। घर के बाहर की तरफ लकड़ी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल होता है और मुख्य द्वार तथा बाहरी दीवारों पर भी लकड़ी का स्पर्श दिया जाता है। इस शैली पचासवीं दशक के घरों से प्रेरित है, जिनमें उठे हुए नुकीले और सपाट दोनों तरह के छत होते हैं। इन घरो के आतंरिक क्षेत्र खुले होने के साथ ज्यामितीय आकारों से सजे होते हैं जैसे की ये घर जिसके सारे हिस्से इन्ही सजावटी तत्वों से बने हैं ।
कृत्रिम रौशनी के साथ प्राकृतिक रौशनी का ख़ूबसूरत तालमेल, खुले रिहाइश क्षेत्र और बड़े छत… इस सब के मिश्रण से बनता है आधुनिक निर्माण शैली का घर। इस सज्जा शैली के जरिए आप का निजीकरण बिलकुल अनोखे अंदाज़ में करके उसे विशिस्ट स्पर्श दे सकते हैं। जयपुर में ये हाउस पैटर्न सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है। बड़ा आकर के प्रवेश द्वार इन घरों के विशिस्ट चिन्ह होते है और इनके प्राकृतिक रौशनी को बनाये रखने के लिए शीशे का इस्तेमाल ज़ियादा होता है। इस निर्माण शैली की बड़ी श्रेष्ठता है कि यह लोगों के बजट में आसानी से फिट होता है।
आजकल शहरों में यूरोपियन शैली के घर भी प्रचलन में हैं जिनके बाहरी क्षेत्र के छत और खिड़कियों को झोपड़ीनुमा आकार दिया जाता है। घर का छत चापाकार में फैला होता है तथा आतंरिक हिस्से की सज्जा और सरंचना में अंग्रेजी और भूमध्यसागरीय वास्तुशिल्प का प्रभाव और स्पर्श नज़र आता है। छत, मुख्या द्वार और खिड़कियां के आस-पास फूलों के लत्तर लटकने वाले घर इन दिनों काफी प्रचलन में हैं। इन्हे अन्तर्रष्ट्रीय रूप-रेखा देने का लिए इन घरो मं मिट्टी के टाइल के छज्जे, गृह-मुख पर रंगीन पत्थर और बालकनी में लकड़ी तथा लोहे के नक्काशी वाले रेलिंग का इस्तेमाल होता है।
आजकल घरो के बाहरी और आतंरिक सज्जा शैली में काफी बदलाव आये हैं जैसे बाहरी दीवारों पर साधारण रंग-रोगन को छोड़ पत्थर के टुकड़े और ऐसे पदार्थो का इस्तेमाल होने लगा है जो प्राकृतिक तत्वों से ज़ियादा दिन बचे रहें। घर के अंदर भी इस्तेमाल होने वाले सज्जा सामग्री जैसे के परदे, फर्नीचर इत्यादि भी काफी सजगता और ध्यान से चुने जाते हैं। आधुनिक और समकालीन निर्माण तथा सज्जा के पसंदीदा तत्वों को मिलाकर ऐसी सज्जा का जन्म हुआ है जिसमे घर को अत्यलंकृत स्पर्श देने की अभिलाषा आसानी से पूर्ण हो सके। इस तरह के संगलन शज्जा शैली में लकड़ी का इस्तेमाल ज़ियादा होता है और खासकर हलके प्राकृतिक रंग और तत्वों का स्पर्श नज़र अत है।
भारतीय गर्मियों को आराम से गुज़ारने के लिए बनाये हुए कुछ और घरों को इस विचार पुस्तक में देखें ।